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पूर्वी उत्तर प्रदेश में हिन्दू युवा वाहिनी एक सशक्त संगठन के रूप में उभरी है। इसका सबसे बडा कारण वाहिनी के संरक्षक एवं गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी का हिन्दुत्व को लेकर बेहद आक्रामक होना है। अपनी इसी शैली के कारण पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय योगी ने वाहिनी को सशक्त आधार दिया है। पिछले दिनों तक योगी इसी मुद़दे पर वाहिनी के जरिए अपने सम्मेलनों एवं उसमें रखे जाने वाले विचारों को लेकर सुर्खियां पाते रहे हैं। वे अपनी पार्टी भाजपा को भी वाहिनी के मंच से चुनौती पेश करते रहे हैं और अपनी ताकत का एहसास कराते रहे हैं। लेकिन अपने गठन के बाद वाहिनी इन दिनों नए संकट का सामना कर रही है। इसका सबसे बडा कारण वाहिनी के जरिए भाजपा का टिकट हासिल कर चुनाव जीत चुके विधायक शम्भु चौधरी एवं पिछले लोकसभा चुनाव में पडरोना सीट से वाहिनी के जरिए ही भाजपा प्रत्याशी बन विजय दूबे का वाहिनी से निष्कासन है। कहा जा रहा है कि योगी अपने इन दोनों नेताओं की गतिविधियों से नाखुश थे, जिसके कारणा उन्हें वाहिनी से निस्कासित कर दिया गया। हालांकि दोनों भाजपा में बने हुए हैं तथा भाजपा के छत्रपों को उन्हें समर्थन भी हासिल है। इस प्रकरण के कारण नयी चुनौती से घिरी हिन्दू युवा वाहिनी की ताकत का प्रदर्शन करने के लिए योगी ने 30 जनवरी को एमपी इण्टर कालेज गोरखपुर के प्रांगण में हिन्दू युवा महासम्मेलन आयोजित की, लेकिन इसमें उतनी भीड नहीं जुट पायी जितनी पहले के सम्मेलनों में जुटती रही। इसके अलावा उम्मीद की जा रही थी कि इस सम्मेलन में योगी आदित्यनाथ अपने स्वभाव के अनुरूप उग्र हिन्दुत्व के नारे को नयी धार देंगे लेकिन सम्मेलन का लब्बोलुआब यह रहा कि खोदा पहाड और निकली चुहिया। सम्मेलन में हिन्दुत्व, आतंकवाद, महंगाई और गैरबराबरी पर पुराने कैसेट ही बजे। खुद योगी ने भी नयी पीढी की चुनौतियों के मद़देनजर ऐसे विचार नही रखे जो नयी लकीर बनाते हों। आधुनिकता और नए जमाने के साथ चलने का वाहिनी का संकल्प भी कहीं नहीं दिखा। अलबत्ता चिन्मयानन्द एवं कुछ अन्य सन्त नेताओं ने हिन्दुत्व का भारत बनाने का प्रवचन सुनाकर वाहवाही लूटने की कोशिश की लेकिन वे यह नहीं बता पाए कि हिन्दुत्व का भारत बनेगा तो कैसे।
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